गढ़वाल चित्रकला (Garhwal Painting): उत्तराखंड की अनमोल कला



गढ़वाल चित्रकला 18वीं शताब्दी में विकसित हुई और इसे पहाड़ी चित्रकला की एक विशिष्ट शाखा माना जाता है। यह शैली अपनी कोमलता, प्राकृतिक सौंदर्य और भक्ति भाव के लिए प्रसिद्ध है।


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🔷 गढ़वाल चित्रकला की उत्पत्ति और इतिहास

गढ़वाल शैली का विकास श्रीनगर (गढ़वाल) में हुआ।

इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में हुई, लेकिन इसे प्रसिद्धि 18वीं शताब्दी में मिली।

यह शैली कांगड़ा और बसोहली चित्रकला से प्रभावित थी, लेकिन इसमें स्थानीय रंग और भावनाएँ जोड़ी गईं।

गढ़वाल नरेश प्रताप शाह, जयकृत शाह और सुदर्शन शाह इसके प्रमुख संरक्षक थे।



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🔷 गढ़वाल चित्रकला की विशेषताएँ

✅ प्राकृतिक सौंदर्य – हिमालय, नदियाँ, फूलों से भरे जंगल, रंगीन पक्षी।
✅ कोमल और भावनात्मक चेहरे – विशेष रूप से स्त्रियों के चेहरे को बहुत आकर्षक बनाया गया।
✅ कृष्ण-लीला और भक्ति रस – राधा-कृष्ण की प्रेम कहानियाँ, रामायण-महाभारत के प्रसंग।
✅ हल्के और कोमल रंगों का प्रयोग – लाल, गुलाबी, हरा, नीला, हल्का पीला।
✅ पारंपरिक गढ़वाली पहनावा – चित्रों में स्त्रियाँ पहाड़ी गहने और घाघरा-चोली पहनती हैं।
✅ स्थानीय जीवन का चित्रण – गाँवों के दृश्य, नंदा देवी यात्रा, हिमालय की संस्कृति।


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🔷 प्रमुख चित्रकार (गढ़वाल शैली के कलाकार)

🎨 मोलाराम (18वीं-19वीं शताब्दी)

गढ़वाल चित्रकला के सबसे प्रसिद्ध कलाकार।

उन्होंने राजा जयकृत शाह के संरक्षण में कई उत्कृष्ट पेंटिंग्स बनाईं।

उनके चित्रों में कृष्ण-राधा, शिव-पार्वती, हिमालय की सुंदरता को दर्शाया गया।

मोलाराम की प्रसिद्ध कृतियाँ –

कृष्ण गोपियों के साथ

शिव-पार्वती हिमालय में

श्रीनगर (गढ़वाल) का चित्रण



🎨 अज्ञात स्थानीय कलाकार

कई अन्य कलाकारों ने भी रामायण-महाभारत के दृश्य, देवी-देवताओं और गढ़वाली लोक संस्कृति को चित्रित किया।



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🔷 गढ़वाल चित्रकला की प्रमुख कृतियाँ

1️⃣ रास लीला – कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करते हुए।
2️⃣ शिव-पार्वती हिमालय में – पहाड़ों के बीच दिव्य प्रेम।
3️⃣ नंदा देवी यात्रा – उत्तराखंड की प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा का चित्रण।
4️⃣ गढ़वाली लोक जीवन – गाँव के त्योहार, पहाड़ी महिलाओं की दिनचर्या।


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🔷 गढ़वाल चित्रकला की वर्तमान स्थिति

यह शैली समय के साथ लुप्त होती गई, लेकिन अब इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास हो रहे हैं।

गढ़वाल विश्वविद्यालय और स्थानीय कलाकार इसे संरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

डिजिटल युग में भी गढ़वाल चित्रकला को आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।



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📌 निष्कर्ष:

गढ़वाल चित्रकला कृष्ण भक्ति, हिमालय की सुंदरता और पहाड़ी संस्कृति का अद्भुत मिश्रण है। यह उत्तराखंड की कला और परंपरा की अमूल्य धरोहर है।

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