बौद्ध धर्म में मूर्ति पूजा की शुरुआत और विकास
बुद्ध के समय (563-483 BCE) तक बौद्ध धर्म में मूर्ति पूजा नहीं थी। बुद्ध ने ध्यान और आचरण पर जोर दिया, और उनकी उपासना प्रतीकों (Symbolism) के माध्यम से की जाती थी। लेकिन बाद में, बौद्ध धर्म में भी मूर्ति पूजा प्रचलित हो गई।
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1. प्रारंभिक बौद्ध काल (6वीं से 3वीं शताब्दी BCE) - अनिकॉनिक चरण (Non-Iconic Phase)
बुद्ध के जीवनकाल और उनके तुरंत बाद की अवधि में, उनकी मूर्तियाँ नहीं बनाई जाती थीं।
उनकी उपासना प्रतीकों (Symbols) के रूप में की जाती थी, जैसे:
बोधि वृक्ष (Bodhi Tree) – ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक।
धर्मचक्र (Dharmachakra) – धर्म के चक्र का घुमाव, पहला उपदेश।
पदचिह्न (Buddha’s Footprints) – उनकी उपस्थिति का प्रतीक।
स्तूप (Stupa) – बुद्ध के अवशेषों को समर्पित स्मारक।
इस काल में बुद्ध की प्रत्यक्ष मूर्ति बनाने की परंपरा नहीं थी।
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2. कुषाण काल (1st-3rd Century CE) – बुद्ध मूर्तियों की शुरुआत
कुषाण सम्राट कनिष्क (127-150 CE) के समय पहली बार बुद्ध की मूर्तियाँ बनने लगीं।
इस दौर में दो प्रमुख कला शैलियों में बुद्ध की मूर्तियाँ बनाई गईं:
✅ गांधार शैली (Gandhara Art)
ग्रीक प्रभाव वाली मूर्तियाँ (यूनानी-अभिनीत चेहरा, रोमन टोगा जैसी पोशाक)।
बुद्ध को अधिक यथार्थवादी रूप में दिखाया गया।
✅ मथुरा शैली (Mathura Art)
पूरी तरह भारतीय शैली, जिसमें बुद्ध को ध्यान मुद्रा में या अभय मुद्रा में दर्शाया गया।
चेहरे पर आध्यात्मिक शांति और हल्की मुस्कान।
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3. गुप्त काल (4th-6th Century CE) – बुद्ध मूर्ति पूजा का स्वर्ण युग
गुप्त काल में बुद्ध की मूर्ति पूजा पूरी तरह से स्थापित हो गई थी।
इस काल में:
अजन्ता-एलोरा गुफाओं में बुद्ध की विशालकाय मूर्तियाँ बनीं।
महायान बौद्ध धर्म (Mahayana Buddhism) में बुद्ध को ईश्वर समान माना जाने लगा, और उनकी भव्य मूर्तियाँ बनने लगीं।
इस दौर की प्रमुख मूर्तियाँ सारनाथ, बोधगया, नालंदा और अजंता में पाई जाती हैं।
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4. वज्रयान और तंत्रमार्ग (7वीं शताब्दी CE के बाद)
तिब्बती बौद्ध धर्म (Vajrayana) में बुद्ध, बोधिसत्व और तांत्रिक देवताओं की मूर्ति पूजा का प्रचलन बढ़ा।
पद्मसंभव, अवलोकितेश्वर, तारा और मंजुश्री जैसी मूर्तियाँ पूजी जाने लगीं।
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निष्कर्ष
बुद्ध के समय मूर्ति पूजा नहीं थी, बल्कि प्रतीकों के माध्यम से उनकी उपासना होती थी।
1st-3rd Century CE (कुषाण काल) में पहली बार बुद्ध की मूर्तियाँ बनीं।
4th-6th Century CE (गुप्त काल) में बौद्ध मूर्ति पूजा व्यापक रूप से फैल गई।
महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म ने मूर्ति पूजा को पूरी तरह से अपना लिया।
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