हमारे सप्ताह के सातों दिन (रविवार से शनिवार) का चयन किस आधार पर किया गया है
हमारे सप्ताह के सातों दिन (रविवार से शनिवार) का चयन प्राचीन वैदिक व खगोलीय आधार पर किया गया है, जिसका उल्लेख विभिन्न पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों में मिलता है। इसका आधार मुख्य रूप से वायु पुराण, लिंग पुराण, भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, और वैदिक काल के ज्योतिषीय ग्रंथों में है।
1. सप्ताह के दिनों का चयन वैदिक और ज्योतिषीय आधार पर
भारतीय ज्योतिष में सप्तग्रह मंडल (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि) को महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक ग्रह का एक विशिष्ट दिन निर्धारित किया गया, और उसी के आधार पर सप्ताह का निर्माण हुआ।
रविवार – सूर्य (सौर ऊर्जा का प्रभाव)
सोमवार – चंद्रमा (मन और जल तत्व का प्रभाव)
मंगलवार – मंगल (शक्ति और युद्ध का प्रभाव)
बुधवार – बुध (बुद्धि, तर्क और व्यापार का प्रभाव)
गुरुवार – बृहस्पति (ज्ञान, गुरु और धर्म का प्रभाव)
शुक्रवार – शुक्र (सौंदर्य, कला, प्रेम का प्रभाव)
शनिवार – शनि (धैर्य, कर्म और न्याय का प्रभाव)
2. विश्वभर में सप्ताह के सात दिन ही क्यों हैं?
भारत में इस सप्ताहिक प्रणाली का प्राचीन काल से ही पालन किया जाता रहा है। लेकिन पश्चिमी जगत ने इसे रोमन और बेबीलोनियन सभ्यताओं के माध्यम से अपनाया।
प्राचीन बेबीलोन (आज का इराक) और मिस्र की सभ्यताओं में भी ज्योतिषीय ग्रहों के आधार पर समय विभाजन की परंपरा थी।
यूनानियों और रोमनों ने इस प्रणाली को अपनाया, और इसे यूरोप में फैलाया।
बाद में ईसाई और इस्लामिक संस्कृतियों ने भी इसे स्वीकार किया।
यूरोप में ईसाई धर्म के प्रचार के साथ, सप्ताह की यह प्रणाली पूरी दुनिया में फैल गई। आधुनिक समय में वैज्ञानिक और व्यावसायिक कारणों से भी यह प्रणाली अपनाई गई और अब यह अंतर्राष्ट्रीय मानक (ISO 8601) के रूप में स्थापित हो चुकी है।
निष्कर्ष
भारतीय ज्योतिष और पुराणों के अनुसार सप्ताह के दिन ग्रहों की ऊर्जा और उनके प्रभाव के आधार पर निर्धारित किए गए थे। यही प्रणाली बाद में अन्य सभ्यताओं ने अपनाई और धीरे-धीरे यह संपूर्ण विश्व में मान्य हो गई।
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